नई दिल्ली / जयपुर: दिल्ली पुलिस ने पुष्टि की है कि अब केवल वॉटर आई .डि पहचान पत्र या पासपोर्ट ही भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए वैध दस्तावेज माने जाएंगे।एक बार फिर स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड को भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं माना जाता। यह स्पष्टीकरण ऐसे समय पर आया है जब देशभर में, विशेषकर राजस्थान, दिल्ली और असम जैसे राज्यों में अवैध घुसपैठियों और रोहिंग्या-बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और जांच का अभियान तेज़ी से चल रहा है।

वर्तमान परिदृश्य: क्यों आई यह ज़रूरत?

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद कई राज्य सरकारों ने सुरक्षा के मद्देनज़र बड़े पैमाने पर अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान शुरू की है। राजस्थान में अजमेर, उदयपुर और अलवर जैसे शहरों से सैकड़ों संदिग्ध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या नागरिकों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से अधिकांश के पास आधार, पैन या राशन कार्ड जैसे दस्तावेज़ थे — लेकिन नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं।

केंद्र सरकार का स्पष्ट संदेश

सरकार ने दोहराया है कि- “आधार सिर्फ पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं” UIDAI और गृह मंत्रालय दोनों ने इस बात की पुष्टि की है कि नागरिकता की वैध पुष्टि के लिए केवल निम्नलिखित दस्तावेज़ मान्य हैं:

जन्म प्रमाण पत्र

निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल)

भारतीय पासपोर्ट

मतदाता पहचान पत्र (Voter ID)

चिंता का विषय: फर्जी दस्तावेज़ और पहचान

जांच एजेंसियों के अनुसार, कई संदिग्ध फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और यहां तक कि राशन कार्ड बनवाकर वर्षों से भारत में रह रहे थे। इन दस्तावेज़ों के होने के बावजूद, उनकी नागरिकता साबित नहीं हो पाई।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसंख्या प्रबंधन, और वोटर लिस्ट की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम है। लेकिन इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि कानूनी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो, ताकि किसी निर्दोष नागरिक के साथ अन्याय न हो। भारत इस समय दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है। एक तरफ आतंकी हमलों और अवैध घुसपैठ की आशंका, और दूसरी ओर नागरिकों की पहचान की पारदर्शी पुष्टि। ऐसे समय में सरकार का यह बयान न केवल नीतिगत स्पष्टता लाता है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी दिशा देता है।

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