दोनों सदनों में देर रात तक चर्चा के बाद यह बिल राष्ट्रपति के द्वारा मंजूर कर लिया गया है

संसद के बजट सत्र के दौरान गहन चर्चा और विचार-विमर्श के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति प्राप्त हो गई है, जिससे यह अब पूर्ण रूप से कानून का रूप ले चुका है। सरकार ने इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर दी है, और जल्द ही इसे लागू करने की तिथि तय की जाएगी।

संसद के दोनों सदनों में कई दिनों तक तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप के बीच पक्ष-विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने अपने विचार रखे। सत्ता पक्ष ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराईं। अंततः यह विधेयक पारित हो गया, जो भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख नीतियों और वादों में से एक था। इस विधेयक को कानून का रूप देना पार्टी की रणनीतिक सफलताओं में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

इस संशोधित अधिनियम के प्रभावी होने के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों पर वक्फ संपत्ति का दावा स्वतः समाप्त हो जाएगा। इससे कई वर्षों से लंबित विवादों के समाधान में सहायता मिलेगी और सार्वजनिक परिसंपत्तियों के सुचारू प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।

लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक पर व्यापक विमर्श हुआ, जिसमें पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने अपनी राय रखी। कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया, जबकि सरकार ने इसे संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने वाला कदम बताया।

इस कानून पर विभिन्न वर्गों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। जहाँ सरकार इसे एक निष्पक्ष और सुव्यवस्थित व्यवस्था की ओर अग्रसर मान रही है, वहीं कुछ समूह इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए चुनौतीपूर्ण बता रहे हैं। आने वाले समय में इस कानून का सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव और अधिक स्पष्ट रूप से परिलक्षित होगा।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version