राजस्थान में डोडा तस्करी की सबसे बड़ी चुनौती अब बाड़मेर से सामने आ रही है।

राजस्थान में नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी कोई नई बात नहीं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बाड़मेर इस नेटवर्क का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। हाल की घटनाएं और लगातार हो रही जब्तियां यह साफ संकेत देती हैं कि यह सीमावर्ती जिला अब राज्य में डोडा पोस्त की सबसे अधिक तस्करी के लिए कुख्यात हो चुका है।

बाड़मेर में लगातार बढ़ रही तस्करी, पुलिस के लिए बनी चुनौती

7 अप्रैल को गुड़ामालानी पुलिस ने 7 क्विंटल 38 किलोग्राम डोडा पोस्त की बड़ी खेप बरामद की। यह कार्रवाई रागेश्वरी थाना क्षेत्र में वांछित चल रहे तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ पूरी हुई। पुलिस ने इसे हाल के दिनों की एक बड़ी सफलता बताया है।

सांख्यिकीय दृष्टि से देखा जाए तो बाड़मेर में डोडा तस्करी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2023 में 44 क्विंटल डोडा पकड़ा गया था, जबकि 2017 में यह संख्या 8000 किलोग्राम से भी अधिक थी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बाड़मेर राज्य में नशा तस्करी का बड़ा गढ़ बन चुका है।

हालांकि, जालोर, पाली, और भीलवाड़ा जैसे जिलों में भी मादक पदार्थों की आवाजाही जारी है, लेकिन जब्त की गई मात्रा और गिरफ्तारी के मामलों में बाड़मेर सबसे आगे है। पुलिस और प्रशासन के लिए यह एक सतत चुनौती है, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण इस नेटवर्क की जड़ें गहरी हैं।


अन्य जिलों में कार्रवाई, लेकिन बाड़मेर सबसे सक्रिय

भीलवाड़ा जिले में 7 अप्रैल को ही अदालत ने एक अफीम तस्कर को 3 साल की सजा सुनाई। केस में 7 गवाह, 69 दस्तावेज और 30 हजार रुपये जुर्माना शामिल था। वहीं, कोटा में “ऑपरेशन नश्वर” के तहत रेलवे कॉलोनी थाना पुलिस ने 2167 किलोग्राम डोडा चूरा पकड़ा और दो इनामी तस्करों को गिरफ्तार किया।

इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि पूरे राज्य में पुलिस सक्रिय है, लेकिन बाड़मेर का मामला सबसे गंभीर है, जहाँ पकड़ और नेटवर्क दोनों की गहराई सबसे ज़्यादा है।

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