ग्राम पंचायत श्रीकृष्णनगर (चाडी), तहसील फलोदी, जिला जोधपुर, राजस्थान नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के राष्ट्रीय संयोजक श्री हनुमान बेनीवाल ने एक ट्वीट के माध्यम से रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का ध्यान राजस्थान में घटित एक गंभीर और संवेदनशील मामले की ओर आकर्षित किया है। यह मामला भारतीय सेना में कार्यरत रहे ग्राम पंचायत श्रीकृष्णनगर (चाडी), तहसील फलोदी, जिला जोधपुर, राजस्थान के निवासी रामचंद्र गोरछिया की शहादत से जुड़ा है, जो जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए।
घटना का पूरा विवरण और बेनीवाल का ट्वीट
सांसद बेनीवाल के अनुसार, शहीद रामचंद्र गोरछिया का पार्थिव शरीर सेना के निर्धारित सैन्य वाहन के स्थान पर एक निजी एंबुलेंस से उनके पैतृक गांव लाया गया। साथ ही, सेना के अधिकारियों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of Honour) देने से भी इनकार कर दिया गया, और शहीद का दर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया में भी गंभीर लापरवाही बरती गई।
लक्ष्मणनगर टोल प्लाजा के पास धरना प्रदर्शन शुरू
इस व्यवहार से आहत होकर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भारतमाला हाइवे पर लक्ष्मणनगर टोल प्लाजा के पास धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मौके पर हजारों ग्रामीण मौजूद हैं, जो सेना और प्रशासन के रवैये के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे हैं।
क्या-क्या मांगे हैं
1. शहीद रामचंद्र गोरछिया को गार्ड ऑफ ऑनर सहित संपूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाए।
2. उन्हें आधिकारिक रूप से “शहीद” का दर्जा दिया जाए।
3. उनके परिवार को सरकार द्वारा शहीद सैनिकों के लिए निर्धारित सभी लाभ तत्काल दिए जाएं।
4. पार्थिव शरीर को निजी वाहन में लाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों की है, उनकी जवाबदेही तय की जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
बेनीवाल ने बताया कि उन्होंने फलोदी के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से इस संबंध में बात की है, और राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन समय रहते आवश्यक कार्रवाई नहीं करता, तो वे स्वयं धरना स्थल पर पहुंचेंगे। एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले शहीद सैनिक के साथ हुआ यह व्यवहार अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक बताया जा रहा है। इस मामले ने न केवल ग्रामीणों की भावनाओं को आहत किया है, बल्कि सैन्य प्रणाली और सम्मान की प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब यह देखना अहम होगा कि शासन-प्रशासन इस पर क्या त्वरित और प्रभावी कदम उठाता है।